हंस उडे कछुवे को लेकर
किसी जंगल में एक तालाब था । उस में एक कछुवा रहता था । उस तालाब के पास दो हंस रहते थे । हंस कछुवे में मित्र थे । दिन भर हंस कछुवे के पास रहते थे । आपस में बातचीत करते हुए उनका दिन बीत जाता था । सूर्यास्त के समय दोनों हंस अपने घोंसले में चले जाते थे ।
तेज गर्मी के कारण तालाब सूखने लगा । उसे सूखता देखकर हंस चिंतित हो गए और बोले--- "मित्र यह तालाब तो सूखता जा रहा है । अब तुम यहाँ कैसे रहोगे ? यह बात हमें बैचैन कर रही है ।" यह सुनकर कछुवे ने कहा मित्रो जल के बिना तो मै जीवित ही नहीं रह सकता । इसलिए कोई उपाए सोचना चाहिये ।" कुछ देर सोचकर कछुवा पुन्हा बोला --" तुम दोनों को ऐसा तालाब तलाश करो , जो जल से भरा हो । फिर तुम मुझे वहां पंहुचा
देना ।"
हंस उड़ कर गए और तालाब की तलाश करने लगे । उन्हें एक तालाब मिल गया । वे कछुवे के पास आकर बोले " मित्र हमने तालाब तलाश कर लिया है । वह जल से भरा हुआ है परन्तु यहाँ से बहोत दूर है । तुम वहां तक कैसे जायोगे ?" कुछ देर विचार करने के बाद कछुवा बोला -- " तुम एक मजबूत डंडी तोड़ लायो । तुम दोनों उस डंडी तो दोनों तरफ से पकड़ लेना । मै उसे दांतों से कसकर बिच से पकड़ लूँगा । फिर तुम दोनों उस डंडी तो ले कर उड़ना और मुझे उस तालाब तक पहुचा देना "
हंसो ने कहा यह उपाय तो अच्छा है परंतो इस में खतरा अधिक है । यदि उड़ते समय तुमने मुह खोला तो निचे गिर जायोगे । इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद तुम बच नहीं पायोगे ।" कछुवा बोला --" मै उड़ते समाये अपना मुह बिलकुल भी नहीं खोलूँगा '' ।
हंसकछुवे को ले कर उड़ चले । जब हंस कछुवे को लेकर आकाश से जा रहे थे , रस्ते मै एक नगर पडा । एक आदमE हंस और कछुवे को देख कर बोला ----" आरइ देखो यह पक्षी क्या लेकर जा रहे हैं । --" दूसरा आदमी बोला अरे ! अरे यह तो कछुवा है ?" यह पक्षी कितने समझदार है ? इन्होने बडा अच्HH